भारत की राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति अंगरक्षक को हीरक जयंती सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किए

राष्ट्रपति भवन : 30.09.2025

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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 30 सितंबर, 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति अंगरक्षक (पीबीजी) को हीरक जयंती सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किए। यह सम्मान 1950 में राष्ट्रपति के अंगरक्षक के रूप में नाम दिए जाने के बाद 75 वर्षों की गौरवशाली सेवा पूरी होने पर प्रदान किए गए।

इस अवसर पर कमांडेंट का चार्जर 'विराट' अश्व भी उपस्थित था, जिसकी 2022 में सेवा पूरी हो गई थी। पीबीजी ने चार्जर विराट की सेवा पूरी होने के बाद उसे दोबारा अपने पास रख लिया है, यह पीबीजी के सैनिकों और उनके घोड़ों के बीच के बंधन का एक अनूठा प्रतीक है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 26 जनवरी, 2022 को गणतंत्र दिवस परेड में इस घोड़े की पीठ थपथपाई थी।

समारोह में अपने संक्षिप्त संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि हम सबको पीबीजी पर गर्व है। उन्होंने पीबीजी को उनकी पेशेवर श्रेष्ठता और उत्कृष्ट सैन्य परंपराओं के पालन के लिए बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी अंगरक्षक यह अवश्य ही जानते होंगे कि इस सम्मान के साथ जुड़ी जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति अंगरक्षक भारतीय सेना में सबसे पुरानी रेजिमेंट है, जिसे वर्ष 1773 में गवर्नर-जनरल के अंगरक्षक (बाद में वायसराय के अंगरक्षक) के रूप में स्थापित किया गया।

27 जनवरी, 1950 को इस रेजिमेंट का नाम बदलकर राष्ट्रपति अंगरक्षक कर दिया गया था। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई, 1957 को राष्ट्रपति अंगरक्षक को अपना सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किया।

पीबीजी एकमात्र ऐसी रेजिमेंट है जिसे राष्ट्रपति अंगरक्षक स्टैंडर्ड और पीबीजी का रेजिमेंटल स्टैंडर्ड दो 'स्टैंडर्ड' प्राप्त हैं।

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